रिलायबल वास्तु एंटरप्राइजेज.
वास्तुशास्त्र के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां -
ब्रह्मांड में रहने वाला प्रत्येक व्यक्ति सभी बाधाओं और परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए व्याकुल रहता है और जीवन की विभिन्न सुख-सुविधाओं का आनंद उठाना चाहता है । उस दौरान प्रत्येक प्राणी यानी छोटे से छोटे कीट से लेकर सबसे विशाल और आधुनिक प्राणी - मानव, एक आरामदायक निवास स्थान या स्थान चाहता है जहाँ वह शांति और आनंद से रह सके या काम कर सके । वह स्थान सबसे अच्छा और उत्तम होना चाहिए ।
जीवन की अन्य जरूरतों के साथ-साथ आरामदायक स्थान या निवास की आवश्यकता को हमारे पुरखों ने बहुत पहले ही गहनता से विचार कर पहचान लिया था । पुरखों की इस गहरी सोच ने भारत को वास्तुशास्त्र के रूप में एक महत्वपूर्ण चमत्कारी ज्ञान दिया जिसे "भवन का विज्ञान" के नाम से सुविख्यात वास्तु शास्त्र के रूप में सम्मान मिला है ।
यद्यपि हमारे विद्वान पुरखों द्वारा इसका विस्तार से वर्णन किया गया है, आज की आधुनिक पीढ़ी को शास्त्र के मूल सिद्धांतों के बारे में बहुत कम या ना के बराबर कोई ज्ञान नहीं है । इस विद्या के मूलभूत नियमों के बारे में कुछ तथा कथित वास्तुशास्त्र ज्ञाताओं ने विकृत रूप में यहां वहां से या अपनी तरफ से कुछ जोड घटा कर सामान्य लोगों को अंधविश्वास में धकेल दिया है जिसे वे छठी इन्द्री के कंपन के रूप इसे बता कर पैसा कमाने का रास्ता अपना रखा है ।
वास्तुशास्त्र भारतीय वास्तुकला का अचूक और प्राचीन विज्ञान है । इस धरती पर संसार की उत्पत्ति के समय से ही भारतीय वेदों का लेखन हुआ है जो अब भी उपलब्ध सबसे पुराने साहित्य माने जाते हैं जिसमें कामकाजी स्थान या निवास स्थान के बारे में भी वर्णन व चिंतन शामिल है । केवल स्थान ही नहीं बल्कि मंदिर, महल, किले, बाजार, देश की रक्षा के लिए सेना की सबसे महतवपूर्ण इमारतें, अस्तबल और अन्य जरूरी भवन, जिनका निर्माण जिन सिद्धांतों पर किया गया था उसका आधार वास्तु शास्त्र ही है ।
जब किसी भवन के स्थान को देखा जाता है, तो बहुत सारे कारकों पर विचार किया जाता है । दिशा महत्वपूर्ण कारकों में से एक होने के साथ, इसमें स्थान का आकार, भवन या भूखंड के पास की या बीच की सड़कें, और उसकी भीतरी बनावट भी शामिल होती है ।
भले ही दुनिया दिन ब दिन और लगातार प्रगति कर रही है । शहरों का विकास व आधुनिकरण हो रहा है और अब हमारी पिछली पीढ़ियों के लिए अकल्पनीय और आश्चर्यजनक चीजों का ढेर मौजूद है । ये सब वास्तुशास्त्र के सिद्धांतों के आधार पर ही इनका विकास हुआ है ।